Wednesday, November 19, 2008

हर एक बात पे कहते हो तुम के 'तू क्या है' ?

१. हर एक बात पे कहते हो तुम के 'तू क्या है' ? तुम्हीं कहो के यह अंदाज़-ऐ-गुफ्तगू क्या है ?
[ गुफ्तगू = कोन्वेर्सशन ]
२. न शोले में यह करिश्मा न बर्क में यह अदा कोई बताओ की वोह शोख-ऐ-तुंड_खू क्या है ?
[ बर्क = लिघ्त्निंग, तुंड = शार्प/अंगरी, खू = बेहविओर ]
३. यह रश्क है की वो होता है हम_सुखन तुमसे वगरना खौफ-ऐ-बाद_आमोज़ी-ऐ-अदू क्या है ?
[ रश्क = जेअलौस्य, हम_सुखन = तो स्पेअक तोगेथेर/तो अग्री, खौफ = फेअर, बाद = बाद/विक्केद, आमोज़ी = एजूकेशन/तेअचिंग, अदू = एनेमी ]
४. चिपक रहा है बदन पर लहू से पैराहन हमारी जेब को अब हाजत-ऐ-रफू क्या है ?
[ पैराहन = शर्ट/रोबे/क्लोथ, हाजत = नीद/नेसस्सिटी, रफू = मेंदिंग/दर्निंग ]
५. जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा कुरेदते हो जो अब राख, जुस्तजू क्या है ?
[ जुस्तजू = देसिरे ]
६. रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं कायल जब आँख ही से न टपका तो फ़िर लहू क्या है ?
७. वोह चीज़ जिसके लिए हमको हो बहिश्त अज़ीज़ सिवाय बाद-ऐ-गुल_फाम-ऐ-मुश्कबू क्या है ?
[ बहिश्त (और बिहिश्त, बोथ अरे कोर्रेक्ट) = हेअवें, बाद = विन, गुल_फाम = देलिकाते एंड फ्राग्रांत लिखे फ्लोवेर्स, मुश्कबू = लिखे थे स्मेल ऑफ़ मुस्क ]
८. पियूं शराब अगर खुम भी देख लूँ दो चार यह शीशा-ओ-कदः-ओ-कूजा-ओ-सुबू क्या है ?
[ खुम = विन बर्रेल, कदः = गोब्लेट, कूजा/सुबू = विन पित्चेर ]
९. रही न ताक़त-ऐ-गुफ्तार, और अगर हो भी तो किस उम्मीद पे कहिये के आरजू क्या है ?
[ गुफ्तार = स्पीच/दिस्कोउरसे ]
१०. बना है शाह का मुसाहिब, फायर है इतराता वगरना शहर में 'घलिब' की आबरू क्या है ?
[ मुसाहिब = कामरेड/अस्सोसिअते ]

छाप तिलक सब चीनी रे, मोह से नैना मिलायके

छाप तिलक सब चीनी रे, मोह से नैना मिलायके.छाप तिलक सब चीनी रे, मोह से नैना मिलायके.छाप तिलक सब चीनी रे, मोह से नैना मिलायके.
मोह से नैना मिलाई के…छाप तिलक सब चीनी रे, मोह से नैना मिलायके.
छाप तिलक सब चीनी रे, मोह से नैना मिलायके.बात अघं कह दीनी रे मोह से नैना मिलायके.
बल बल जाऊं मैं, तोरे रंग रजवा,बल बल जाऊं मैं….बल बल जाऊं मैं….
ऐसी रंग दो के रंग नाहीं छूते, धोबिया धोये चाहे साड़ी उमरिया
बल बल जाऊं मैं….बल बल जाऊं मैं….
बल बल जाऊं मैं, तोरे रंग रजवा,अपनी सी रंग दीनी रे, मोह से नैना मिलायके.
प्रेम बहती का माधव पिलाय्के
प् नि साग अ माँ गा सा…(रागस बी खान साब)
प्रेम बहती का माधव पिलाय्के,मतवारी कर दीनी रे, मोह से नैना मिलायके.
गोरी गोरी गोरी बैयाँ, हरी हरी चुदियाँ,बहियाँ पकड़ हर लीनी रे, मोह से नैना मिलायके.
खुसरू निजाम के बल बल जियान …खुसरू निजाम के बल बल जियान …
हर काम रास्त राहे, दीं-ऐ व किबला गाहे,मून किबला रास्त कर्दम, बार संत कज्कुलाहय.
खुसरू निजाम के बल बल जियान …खुसरू निजाम के बल बल जियान …
खुसरू निजाम के बल बल जियान …मोहे सुहागन कीनी रे, मोह से नैना मिलायके
बहुत कठिन है डगर पनघट की,कैसे मैं भर लाऊं माधव से मटकी?
ख्वाजा निजामोद्दीन, ख्वाजा निजामोद्दीन,लाज रखो मोरे घूंघट पट की.
खुसरू निजाम के बल बल जियान …मोहे सुहागन कीनी रे, मोह से नैना मिलायके

हजारों ख्वाहिशें 'एईसी के हर ख्वाहिश पे दम निकले

१. हजारों ख्वाहिशें 'एईसी के हर ख्वाहिश पे दम निकले
बोहोत निकले मेरे अरमान लेकिन फ़िर भी कम निकले
२. डरे क्यूं मेरा कातिल क्या रहेगा उसकी गर्दन पर
वो खून, जो चश्म-ऐ-तर से 'उम्र भर यूँ दम_बा_दम निकले
[ KHooN = blood, chashm = eye, tar = wet, dam_ba_dam = continously ]
३. निकलना खुल्द से आदम का सुनते आयें हैं लेकिन
बोहोत बे_आबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले
[ KHuld = heaven, be_aabaru = disgrace, koocha = street ]
४. भरम खुल जाए जालिम तेरे कामत की दराजी का
अगर इस तुर्रा-ऐ-पुर_पेच-ओ-ख़म का पेच-ओ-ख़म निकले
[ दराजी = length/delay, कामत = स्तातुरे, तुर्रा = अन ओरनामेंटल
tassel worn in the turban, pech-o-KHam = curls in the
hair/complexity ]
५. मगर लिखवाये कोई उसको ख़त, तो हमसे लिखवाये
हुई सुबह और घर से कान पर रखकर कलम निकले
६. हुई इस दौर में मंसूब मुझसे बाद_आशामी
फ़िर आया वो ज़माना, जो जहाँ से जाम-ऐ-जम निकले
[ मंसूब = असोसिएशन, बाद_आशामी = असोसिएशन विथ
drinking ]
७. हुई जिनसे तवक्को खस्तगी की दाद पाने की
वो हमसे भी जियादा खस्ता-ऐ-तेघ-ऐ-सितम निकले
[ tavaqqo = expectation, KHastagee = weakness, daad = justice,
KHasta = broken/sick/injured, teGH = sword, sitam = cruelity ]
८. मोहब्बत में नहीं है फर्क जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफिर पे दम निकले
९. ज़रा कर जोर सीने पर की तीर-ऐ-पुरसितम निकले
जो वो निकले तो दिल निकले, जो दिल निकले तो दम निकले
१०. खुदा के वास्ते परदा न काबे से उठा जालिम
कहीं 'एइसा न हो यान भी वोही काफिर सनम निकले
११. कहाँ मैखाने का दरवाजा 'घलिब' और कहाँ वाइज़
पर इतना जानते हैं कल वो जाता था के हम निकले
[ वाइज़ = प्रेअचेर/अद्विसर ]

ये न थी हमारी किस्मत के विसाल-ऐ-यार होता [ विसाल-ऐ-यार = प्रेमी से मुलाकात ]

१. ये न थी हमारी किस्मत के विसाल-ऐ-यार होता
अगर और जीते रहते यही इंतज़ार होता
[ विसाल-ऐ-यार = प्रेमी से मुलाकात ]
२. तेरे वादे पर जिए हम तो ये जान झूट जाना
के खुशी से मर न जाते अगर 'एइताबार होता
[ 'एइताबार = ट्रस्ट/कांफिडेंस ]
३. तेरी नाज़ुकी से जाना की बंधा था 'एहेद_बूडा
कभी तू न तोड़ सकता अगर ऊस्तुवार होता
[ 'एहेद = ओअथ, ऊस्तुवार = फर्म/देतेर्मिनेद ]
४. कोई मेरे दिल से पूछे तेरे तीर-ऐ-नीमकश को
ये खलिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता
[ तीर-ऐ-नीमकश = हलफ द्रवं अर्रोव, खलिश = पैन ]
५. ये कहाँ की दोस्ती है के बने हैं दोस्त नासेह
कोई चारासाज़ होता, कोई घम्गुसार होता
[ नासेह = कोउन्सल्लोर, चारासाज़ = हेअलेर,
घम्गुसार = स्य्म्पथिजेर ]
६. राग-ऐ-संग से टपकता वो लहू की फ़िर न थमता
जिसे ग़म समझ रहे हो, ये अगर शरार होता
[ राग = नर्वे, संग = स्टोन, शरार = फ्लैश/गलें ]
७. ग़म अगरचे जान_गुलिस है, पे कहाँ बचें के दिल है
ग़म-ऐ-इश्क गर न होता, ग़म-ऐ-रोज़गार होता
[ जान_गुलिस = लाइफ थ्रेअत्निंग ]
८. कहूं किस से मैं के क्या है, शब्-ऐ-ग़म बुरी बाला है
मुझे क्या बुरा था मरना ? अगर एक बार होता
९. हुए मर के हम जो रुसवा, हुए क्यों न घरक-ऐ-दरिया
न कभी जनाजा उठता, न कहीं मजार होता
[ घरक = द्रोवं/सींक ]
१०. उसे; कौन देख सकता की यगाना है वो यकता
जो दूई की बू भी होती तो कहीं दो चार होता
[ यगाना = किन्स्मन, यकता = मत्च्लेस/इन्कोम्पराब्ले, दूई = दुआलिटी ]
११. ये मसाइल-ऐ-तसव्वुफ़, ये तेरा बयान 'घलिब' !
तुझे हम वाली समझते, जो न बाद_ख्वार होता
[ मसाइल = टोपिक्स, तसव्वुफ़ = म्य्स्तिसिस्म, वाली = प्रिन्स/फ्रेंड,
बाद_ख्वार = बूजेर ]

दिल-ऐ-नादाँ तुझे हुआ क्या है ?

१. दिल-ऐ-नादाँ तुझे हुआ क्या है ?
आख़िर इस दर्द की दावा क्या है
२. हम हैं मुश्ताक और वोह बेजार
या इलाही ! यह माजरा क्या है ?
[ मुश्ताक = इन्तेरेस्तेद, बेजार = दिस्प्लेअसेद/सिक्क ऑफ़ ]
३. मैं भी मुंह में ज़बान रखता हूँ
काश ! पूछो की "मुद्दा क्या है" ?
४. जब की तुझ बिन नहीं कोई मौजूद
फ़िर ये हंगामा, 'इ खुदा ! क्या है
५. ये परी चेहरा लोग कैसे हैं ?
घम्ज़ा-ओ-इशवा-ओ-'अदा क्या है ?
[ परी चेहरा = अन्गेल फसद, घम्ज़ा = अमोरोउस ग्लांस,
इशवा = कोक़ुएत्र्य ]
६. शिकन-ऐ-जुल्फ-ऐ-अम्बरी क्यों है ?
निगाह-ऐ-चश्म-ऐ-सूरमा सा क्या है ?
[ शिकन = व्रिन्केल/फोल्ड, अम्बरी = फ्राग्रांस, चश्म = एए ]
७. सब्जा-ओ-गुल कहाँ से आए हैं ?
अब्र क्या चीज़ है, हवा क्या है ?
[ अब्र = क्लौड्स ]
८. हमको उनसे वफ़ा की है उम्मीद
जो नहीं जानते वफ़ा क्या है
९. "हाँ भला कर तेरा भला होगा"
और दरवेश की सदा क्या है ?
[ दरवेश = बेग्गर, सदा = वौइस् ]
१०. जान तुम पर निसार करता हूँ
मैं नहीं जानता दुआ क्या है
११. मैंने माना की कुच्छ नहीं 'घलिब'
मुफ्त हाथ आए तो बुरा क्या है ?

कोइ उम्मीद बार नहीं आती कोइ सूरत नज़र नहीं आती

१. कोइ उम्मीद बार नहीं आती कोइ सूरत नज़र नहीं आती

२. मौत का एक दिन मु'अययन है नींद क्यों रात भर नहीं आती ? [ मु'अययन = देफिनिते ]

३. आगे आती थी हाल-इ-दिल पे हंसी अब किसी बात पर नहीं आती

4 जानता हूँ सवाब-इ-टा'अत-ओ-ज़हद पर तबीयत इधर नहीं आती [ सवाब = रिवार्ड ऑफ़ गुड डीड्स इन नेक्स्ट लाइफ, टा'अत = डेवोशन, ज़हद = रेलिगिऔस डीड्स और दुतिएस ]

५. है कुच्छ 'एईसी ही बात जो चुप हूँ वरना क्या बात कर नहीं आती ?

६. क्यों न चीखूं की याद करते हैं मेरी आवाज़ गर नहीं . दाग़-इ-दिल गर नज़र नहीं आता बू भी 'इ चारागर ! नहीं आती [ चारागर = हेअलेर/डॉक्टर ]

८. हम वहाँ हैं जहां से हमको भी कुच्छ हमारी खबर नहीं आती९. मरते हैं आरजू में मरने की मौत आती है पर नहीं आती१०. काबा'अ किस मुंह से जाओगे 'घलिब' शर्म तुमको मगर नहीं आती