Monday, September 22, 2008

maiN Khayaal huuN kisii aur kaa mujhe sochtaa ko’ii aur hai



मैं ख़याल हूँ किसी और का मुझे सोचता को’ई और है
सर-ऐ-आ’ईना मेरा अक्स है पास-ऐ-आ’ईना को’ई और है

(सर-ऐ-आ’ईना : इन फ्रंट ऑफ़ थे मिर्रोर; पास-ऐ-आ’ईना : बेहिंद थे मिर्रोर)

मैं किसी के दस्त-ऐ-तलब में हूँ तो किसी के हर्फ़-ऐ-दुआ में हूँ
मैं नसीब हूँ किसी और का मुझे मांगता को’ई और है

(दस्त : हैण्ड; तलब : देसिरे; हर्फ़-ऐ-दुआ : वोर्ड्स ऑफ़ प्रयेर्स)

कभी लौट आयें तो न पूछना सिर्फ़ देखना बारे घुर से
जिन्हें रास्ते में ख़बर हु’ई की ये रास्ता को’ई और है

अजब ऐतबार-ओ-बे-ऐतबारी के दरमियान है जिंदगी
मैं करीब हूँ किसी और के मुझे जानता को’ई और है

(ऐतबार : कांफिडेंस, बेलिएफ)

वही मुन्सिफों की रिवायतें वही फैसलों की इबारतें
मेरा जुर्म तो को’ई और था पर मेरी सज़ा को’ई और है

(मुंसिफ : जुडगे; रिवायत : त्रादिशन्स; इबारत : डिक्शन, स्टाइल)

तेरी रोशनी मेरी खद्दो-खाल से मुख्तलिफ तो नहीं मगर
टू करीब आ तुझे देख लूँ टू वही है या को’ई और है

(खद्दो-खाल : अप्पेअरेंस; मुख्तलिफ : दिफ्फेरेंत)

जो मेरी रियाज़त-ऐ-नीम-शब् को “सलीम” सुभ न मिल सकी
तो फिर इस के मानी तो ये हु’ऐ के यहाँ खुदा को’ई और है

(रियाज़त-ऐ-नीम-शब् : रेलिगिऔस एक्सेर्सिसेस अत मिड-निघत)

lyric: Saleem Kausar

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